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दैनिक जागरण के अंक मे छपे मुख्यमंत्रियों की संपति के ब्योरे में जो तथ्य दिए गए हैं उससे पढ़ कर तो कोई भी हिल सकता है इस ब्योरे मे उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती ८७ करोड़ रुपए की संपत्ति के साथ पहले पायदान मे खड़ी हैं। कितने अफसोस की बात है गरीबों और दलितों के नाम पर सत्ता में आई बसपा की सुप्रीमो मायावती तो अमीर हो गईं लेकिन उनकी गरीब और दलित जनता गरीब की गरीब ही बनी हुई है. उत्तर प्रदेश भारत के अन्य प्रदेशों की अपेक्षा विकास की दृष्टि से अति पिछड़ा प्रदेश है। ऐसी परिस्थिति में मायावती ही नहीं बल्कि किसी भी सरकार से यह अपेक्षा की जाती है कि वह विकास का एजेंडा बनाकर प्रदेश के सभी संसाधनों का इस्तेमाल उ.प्र. को पिछड़ेपन से बाहर निकलने के लिए करे, परन्तु पिछले कई वर्षों से ऐसा नहीं हुआ है. बसपा सरकार ने न तो दलितों और न ही प्रदेश के विकास का कोई एजेंडा बनाया.बल्कि सत्तासीन होने पर मायावती मूर्तियों और समार्कों के प्रतीकों की राजनीति ही करती रहीं मायावती ने बजट का बड़ा हिस्सा लखनऊ और गाजिआबाद में मूर्तियाँ लगवाने, समारक बनवाने पर खर्च किया है . वैसे भी जनता के पैसे का आपराधिक दुरूपयोग मायावती से बेहतर और कौन कर सकता है ।
हरमंगल सिंह
फ़ैज़ाबाद
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