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पेट्रोल की धार ममता की चाल

Harmangal Singh
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पेट्रोल के लगातार बढ़ते दाम पर सभी दल नाराज है पर लगता है ममता बनर्जी जरूरत से ज्यादा ही नाराज हैं और वो ये दिखने की कोशिश मे जुटी हैं की वो आम आदमी को महगाई की मार से बचा रही है, वैसे ममता जी पेट्रोल के दामो मे बढ़ोतरी को लेकर पहले भी नाराज हो चुकीं हैं, सवाल ये हैं वो उस समय क्यूँ नहीं नाराज हुईं थी जब जून 2010 में सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति के मुताबिक पेट्रोल की कीमत तय करने की इजाजत तेल कंपनियों को दी थी, तब ममता बनर्जी केंद्र में मंत्री थीं और उस फैसले से उनका कोई विरोध नहीं था। वैसे ममता बनर्जी समय समय पर सरकार को बंदर-घुड़की देती रहती हैं कभी सरकार गिरने की बात कहती हैं तो कभी कुछ और। लेकिन ये किसी से छुपा नहीं की ममता इसी बहाने केंद्र पर अपना दबदबा कायम रखना चाहती हैं। ममता बनर्जी सरकार से पश्चिम बंगाल के लिए राहत पैकज बढ़वा कर अपना उल्लू सीधा करना चाह रही है। और सरकार ने भी उनकी बात मन कर कह दिया है की अब पेट्रोल के दाम आगे नहीं बढ़ाए जाएंगे और सरकार क्यूँ न माने आखिर उसे भी तो आने वाले चुनाव की चिंता है। शीघ्र ही कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इस मौके पर केंद्र सरकार जनता को नाराज नहीं करना चाहेगी। शायद हम सब भूले न होंगे जब पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम आदि राज्यों में चुनाव होने थे उस समय सरकार ने पेट्रोल के दामों में वृद्धि को रोके रखा था और जैसे ही चुनाव परिणाम घोषित हुए, पेट्रोल के मूल्य बढ़ा दिए गए थे ।भाई जब सरकार जनता के साथ राजनीतिकखेल खेल सकती है तो ममता जी जैसे लोग क्यूँ नहीं ? हो सकता है की ममता बनर्जी को अपने राज्य की समस्याओं से मुक्ति के लिए केंद्रीय पैकेज की आवश्यकता हो, लेकिन उसे हासिल करने के लिए वह जो खेल देश की जनता के साथ खेल रही है वो सरासर गलत है।

हरमंगल सिंह
फ़ैज़ाबाद

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