- 58 Posts
- 40 Comments
इसे बिडंबना ही कहा जाएगा की मुंबई मे ताजा आतंकी हमले के बाद किसी भी सत्तारूढ़ पार्टी के नेता ने अभी तक पाकिस्तान की खुल कर आलोचना तो दूर उंगली तक नहीं उठाई है, इसका क्या निहितार्थ तलाशा जाए? जब की यह एक सत्य तथ्य है की भारत मे फैले आतंक वाद की जड़ें पाकिस्तान मे ही हैं। 26/11 के बाद मुंबई की सुरक्षा व्यावस्था मजबूत करने के तमाम वादे किए गए हैं किन्तु सिर्फ वादे ही रह गए, न तो मुंबई मे महत्व पूर्ण जगहों मे सीसीटीवी कैमरे लगाए गाए, ना ही आतंक वाद निरोधक केंद्र स्थापित हो सके और ना ही समुन्द्र तटीय सुरक्षा ही चौकस हो सकी ये लपरवाहि की हद है जो बार बार आतंकी हमलो को आमंत्रण देता है। सरकार ये भी वादा किया था की आंतरिक सुरक्षा का ऐसा तंत्र विकसित किया जाएगा जिससे आतंकी स्वप्न मे भी हमला करने की नहीं सोंच पाएंगे किन्तु आज तक कुछ भी नहीं हो पाया, उस मुंबई मे भी नहीं हो पाया जन्हा सबसे ज्यादा आतंकी हमलो का खतरा बना रहता है । देश मे बार बार आतंकी हमलो से भारत की अंतर्राष्ट्रीय छबि को धक्का लग रहा है, सरकार की नम्रता कहें या लापरवाही या मुंबई पुलिस का सुस्त रवैया जिसके कारण अंडरवर्ड की सह पर भी कई बार धमाके हो चुके हैं, ऐसी नम्रता किस काम की जिससे हजारों हजार लोग काल के गाल मे समा जाते हों और सरकार घड़ियाली आसुओं से अपना काम चला लेती हो, देश की जनता को सरकार की ढुलमुल नीतिओ को अब बरदस्त नहीं करना चाहिए। यक्ष प्रश्न यह है, जो आज तक संसद हमले के दोषी अफ़्जल को सजा नहीं दिला पायी तथा कसाब को सजा दिला पाने मे असहाय नजर आरही हो उससे आप क्या उम्मीद कर सकते हैं ?सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम वोटों की खातिर देश के साथ खिलवाड़ किया जराहा है अंग्रेज़ो की तरह फुट डालो राज करो की नीतियों पर चलने वाली सरकार से जनता की भलाई क बारे मे सोचना बेमानी है। सरकार के पास इस बात का भी कोई जवाब नहीं है, की पुलिस और सुरझा एजेंसियों को आधुनिक ढंग से प्रक्षित तथा आवश्यक संसाधनो से लैस पूर्ण क्यूँ नहीं कर परही है? आंतरिक सुरक्षा मामलों मे नम्रता और लापरवाही बरतने वाली सरकार आलोचना से बच नहीं सकती साथ ही यदि आंतरिक सुरक्षा को सद्रढ़ नहीं कर सकती तो फिर उसे सत्ता मे नहीं रहना चाहिए ।
क्या यह सरकार देश के जनमानस को अमन चैन दिला पाएगी ?
हरमंगल सिंह
फैजाबाद १९/०७/११
Read Comments