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लगभग ढाई साल बाद मुंबई मे पुनः लगातार तीन आतंकी हमले होते हैं , और वही नेताओं की घिसी पिटी बयान बाजी , जांच के लिए आदेश दे दिये गए , हाईअलर्ट घोषित कर दीया गया , मुआवजे की घोषणा कर दी गयी , कोई बोलता है इतने दिनो तक हमला न होना सरकार की उपलब्धि माना जाए ,कोई कहता है समस्या पूरे विश्व मे है, हद तो तब हो गयी जब राहुल गांधी ने कहा की हमला रोक पाना बेहद मुश्किल है, यह एक भावी प्रधानमंत्री का बयान है जो निहायत बेतुका और अपरिपक्वता को दर्शाता है उस पर दिग्विजय सिंह का
एक और बयान चाटुकारिता की मिशाल पेश करते हुये आया की राहुल ने जो कहा वो गलत नहीं । आखिर कर इस तरह की बेतुकी बयान बाजी, दूसरे देशों का उदाहरण देना क्या सरकार की कमजोरी अक्षमता का प्रमाण नहीं है। कहते हैं कोई काम कठिन जरूर होता है लेकिन असंभव नहीं। इससे तो यही प्रतीत होता है की सरकार मे मनोबल नहीं है, क्या आतंकवाद , क्या भ्रष्टाचार, क्या महगाई देश को दीमक की तरह चाटे जा रही है किन्तु सरकार हाथ पे हाथ धरे बैठी रहती है और अपनी नकामयाबी छिपाने के लिए सिर्फ और सिर्फ बेतुके बयानो का सहारा लेती है राहुल ने शिवसेना कि चाटुकारिता करते हुए और उन्ही के पद चिन्हो पर चलते हुए कहा की यूपी -बिहार के लोगों की वजह से आतंकी हमले होते हैं अतः उन्हे रोका जाए । जब की राहुल गांधी यूपी के अमेठी की ही रोटी खा रहें हैं और यू पी के किसानो के हमदर्द बने टहल रहें हैं और वही उन्हे यूपी के लोग आतंक वादी नजर आते हैं । मै समझता हूँ की राहुल का ये बयान अमर्यादित एव लज्जापरक है । जब तक पकड़े गए आतंकियों को सजा नहीं मिलेगी तब तक देश मे इसी तरह खून खराबा होता रहेगा और कभी अमन चैन नहीं हो सकता ।
हरमंगल सिंह
फैजाबाद
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