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परमाणु करार की सार्थकता

Harmangal Singh
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दैनिक जागरण दिनाक 01-07-11 प्रकाशित परमाणु करार के दुष्परिणाम पड़ने को मिला, अमरीका से जब परमाणु करार की बातचीत चल रही थी तभी अन्य दलों ने सख्त रुख अपनाते हुए इस सरकार को आगाह किया था की परमाणु करार से देश को किसी प्रकार की हानी नहीं होनी चाहिए, जो भी हो देश हित मे हो। प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने आश्वासन दिया था की वो इस समझौते को अंतिम स्वीकृत तभी देंगे जब इस मामले मे व्यापक राजनीतिक सहमित मिल जाएगी, किन्तु अपनी वाहवाही लूटने के लिए और संसद को पूर्ण रूप से गुमराह करते हुए, राजनीतिक सहमति बनाने की कोशिश के बजाए एक सूत्री फार्मूला अपनाते हुए किसी भी कीमत मे समझौते को आगे बढ़ाया और परिणाम ये हुआ की समझौते से जो लाभ मिलना चाहिए था, वो नहीं मिला। अब अमेरिका भारत पर दबाओ बनाते हुए और कठिन शर्ते थोप रहा है ,प्रधान मंत्री ने ससद को गुमराह क्यूँ किया ये समझ से परे है,यह प्रधान मंत्री की अदूरदर्शिता ही है की आज देश को अमेरिका अपनी मनमानी शर्ते मानने के लिए विवश कर रहा है । अब परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह संबर्धित और परिष्कत उपकरणो के हस्तांरण पर रोक लगा रहा है स्पष्ट है की प्रधानमंत्री की अदूरदर्शिता के कारण भारत द्वारा किया गया परमाणु समझौता महगा पड़ रहा है ।

हरमंगल सिंह
फैजाबाद

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