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भारतीय खाद्य निगम विश्व की महानतम खाद्य असंस्थाओं मे अग्रणी एव एशिया महाद्वीप मे नंबर एक की संस्था है, वैसे तो हर समय अनाज बर्बाद होता रहता है किन्तु बरसात के मौसम मे हजारो लाखों टन सड़ता हुआ गेहूं देख कर बड़ा आश्चर्य होता है, की जिस देश मे करोड़ो लोग दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हों वहा लाखो टन गेहूं का सड़ जाना अमानवीयता ही नहीं ह्रदय विदारक भी है। यद्यपि भारतीय खाद्य निगम अपने संसाधनो के बल पर प्रिजवेर्शन, रख रखाओ आदि समुचित ढंग से करती रहती है, किन्तु भंडारण छमता के अनुरूप गोदामो की कमी होने के कारण अनाज को गोदामों के प्लेटफार्म पर तथा बाहर खुले मे स्टॉक करना पड़ता है जो बरबादी का मुख्य कारण है। गेहूं की बरबादी के लिए दोनों दोषी है, एक ओर जहा केंद्र सरकार नए गोदामो का निर्माण न करवा कर भारतीय खाद्य निगम की उपेझा कर रही है, तो वही दूसरी ओर भारतीय खाद्य निगम के पदाधिकारियों को भी मानवीय पहलुओं को ध्यान मे रखते हुए अन्य संसाधनो जैसे बाजार से पोलिथीन आदि लाकर भीगते हुये गेहूं को कुछ हद तक तो बचाना चाहिए। अन्यथा इसी तरह हर वर्ष लाखो टन गेहु सड़ता रहेगा और करोड़ो लोग भूखे सोते रहेगे। विगत कई वर्षो से
ये समस्या बनी हुई है ,सारा देश जानता है और मीडिया द्वारा हर साल बार-बार ये मुद्दा उठाया भी जाता रहा है लेकिन सरकार के कान मे जूं तक नहीं रेंगती, क्या सरकार का फर्ज नहीं है की अपने देश के खाद्यान को हर कीमत मे बचाने की कोशिश करे ? केंद्र सरकार और संस्थाओं को भी तत्काल आवश्यक कदम उठाते हुए नए गोदामो का निर्माण करवाकर खाद्यान की बरबादी को रोकना चाहिए ।
हरमंगल सिंह
आवास –विकास फैजाबाद
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