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इससे अधिक शमॅसार बात और कया हो सकती है की भारत और पाकिसतान के बीच इसलामाबाद मे २३-२४जुन को साचिव सतर की वाता
होने जा रही है ।दोनो देशो के बीच आपसी मेल मिलाप और सौहादॅ बनाये रखने की बातचीत का कोई मतलब नही है, इसका सीधा सा अथॅ है कि भारत,मुमबई हमलो को भुला चुका है। जब कि मुमबई हमले पर पाकिसतान से सीधे बात करनी चाहिये। इसके विपरीत दोनो देश शाति सुरझा की बात कर रहे है। बडे शॅम की बात है कि हमारे नीति नियॅता हर समय पाकिसतान के सामने घुटने ही टेकते आये है। इससे पाकिसतान का मनोबाल ऊचा उठता है ,और वह अपनी आतॅकवादी गतविधीयो तथा कूटनीतक साजिश रचने से बाज नही आता है।कशमीर जैसे जवलॅत मुदे पर पाकिसतान से शाति वा्ता का कोई मतलब नही है।भारत पाकिसतान पर दबाव बनाने की बात तो करता है पर भारत अपनी ढुलमुल रवैये से पाकिसतान के दबाव मे आता दिख रहा है,जब कि पाकिसतान कह रहा है कि विदेश सचिव सतर की वा्ता मे मुमबई हमले की वा्ता नही होगी तब आखिर भारत इस तरह की सचिव सतर की वा्ता करने कयो जा रहा है । इससे सपषट हो जाता है कि भारत उसके समझ बार-बार घुटने टेकने का काम करता । यह काम बहुत हासयपद एवॅ निराशाजनक है।
हरमगल सिहॅ
फैजाबाद
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